November 16, 2025
वुडस्टॉक स्कूल में आयोजित की गई छात्र चरित्रनिर्माण की कार्यशाला
वुडस्टॉक स्कूल में आयोजित की गई छात्र चरित्रनिर्माण की कार्यशाला
जींद : जींद के वुडस्टॉक पब्लिक स्कूल में चरित्र निर्माण को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में संयोजक उतर भारत शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास श्री जगराम जी शिरकत की। जिनका विद्यालय पहुंचने पर विद्यालय के संस्थापक डायरेक्टर और प्रिंसिपल ने स्मृति चिन्ह, फटका पहनाकर और नारियल भेंट कर हार्दिक स्वागत व अभिनंदन किया।
मंच संचालन श्री आशुतोष शर्मा जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वुड स्टॉक स्कूल के ससंस्थापक डॉ नरेंद्र नाथ शर्मा जी द्वारा की गयी।
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री जगराम जी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि
चरित्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक न केवल छात्रों को ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि उनके चरित्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में नए केवल गुरु की भूमिका बल्कि उनके माता-पिता और समाज की भी भूमिका अहम होती है।
*चरित्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका*
1. *मॉडल के रूप में*: शिक्षक छात्रों के लिए मॉडल के रूप में कार्य करते हैं। छात्र शिक्षकों के व्यवहार, आदतों और मूल्यों को देखकर सीखते हैं।
2. *मूल्यों का प्रसार*: शिक्षक छात्रों में अच्छे मूल्यों जैसे कि सच्चाई, ईमानदारी, सहानुभूति और सहयोग की भावना को बढ़ावा देते हैं।
3. *व्यक्तिगत ध्यान*: शिक्षक छात्रों को व्यक्तिगत ध्यान देते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करने में मदद करते हैं।
4. *प्रेरणा और प्रोत्साहन*: शिक्षक छात्रों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं।
*चरित्र निर्माण के लिए शिक्षकों के गुण*
1. *अच्छा चरित्र*: शिक्षक का अपना चरित्र अच्छा होना चाहिए।
2. *सहानुभूति*: शिक्षक को छात्रों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।
3. *धैर्य*: शिक्षक को धैर्यवान होना चाहिए और छात्रों की समस्याओं को सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए।
4. *निष्पक्षता*: शिक्षक को निष्पक्ष और न्यायप्रिय होना चाहिए।
चरित्र निर्माण में माता-पिता की भूमिका-
1. माता-पिता को बच्चों का आदर्श स्वयं बनना चाहिए और दूसरों के उदाहरण देकर उन्हें भ्रमित नहीं करना चाहिए क्योंकि एक बच्चे के लिए उसके माता-पिता ही उसके पहले गुरु होते हैं।
2. माता-पिता मैं बच्चों के लिए घर का वातावरण ही संस्कार और सद्भावना योग्य बनाना चाहिए।
3. बच्चों को हमेशा अनुशासन की शिक्षा देनी चाहिए और बड़ों का आदर सत्कार करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
4. बच्चों से बात करने का तरीका सद्भाव पूर्ण होना चाहिए उनकी सद्भावना नहीं टूटनी चाहिए और हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा देनी चाहिए।
इस मौके पर विद्यालय की सभी शिक्षक गण वन्य विद्यालय में संस्थाओं से आए हुए प्रिंसिपल व शिक्षक गण सभी कार्यक्रम में मौजूद रहे
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में संस्था जींद क्षेत्र टोली की तरफ से श्री संदीप शर्मा, श्री जितेंद्र शर्मा , श्री रमेश दलाल , श्री गौरव जी, आशुतोष शर्मा , श्री मनोज जी आदि सदस्य मुख्य रूप से कार्यक्रम में मौजूद रहे।